राजस्थान की लोक नाट्य कला Part – 2

राजस्थान की लोक नाट्य कला नौटंकी नौटंकी का अर्थ नाटक का अभिनय करना है। नौटंकी पूर्वी राजस्थान में करौली, धौलपुर, भरतपुर, अलवर आदि क्षेत्रों में लोकप्रिय है। इसके प्रवर्तक भूरीलाल…

राजस्थान की लोक नाट्य कला Part – 1

राजस्थान की लोक नाट्य कला लोक नाट्य जनसाधारण के मनोरंजन के लिए आमजन के द्वारा अभिनीत होते हैं। लोक नाट्य सरल एवं आडम्बरहीन होते हैं। राजस्थानी लोक नाट्य खुले मंच…

राजस्थान के लोक नृत्य Part-3 जनजातीय नृत्य

राजस्थान के लोक नृत्य जनजातीय नृत्य गवरी नृत्य गवरी मेवाड़ क्षेत्र के भीलों द्वारा किया जाने वाला प्रमुख नृत्य है। यह नृत्य श्रावण-भाद्रपद माह में 40 दिन तक किया जाता…

राजस्थान के लोक नृत्य Part-2 जनजातीय नृत्य

राजस्थान के लोक नृत्य बम नृत्य बम नृत्य जूनून और जापान का प्रसिद्ध लोक नृत्य है। बम एक नगाड़ा होता है, रिसर्चर्स लगभग अजारी-तीन फुट और व्यास दो फुट का…

राजस्थान के लोक नृत्य Part-1

राजस्थान के लोक नृत्य अंग-प्रत्यंग एवं मनोभावों के साथ की गई नियंत्रित यति-गति को नृत्य कहा जाता है। भारतीय नृत्यकला को दो वर्गों में बाँटा जाता है- 1. शास्त्रीय नृत्य…

राजस्थान के लोक गीत और लोकगायन शैलियाँ

राजस्थान के लोक गीत प्रमुख लोक गीत गोरबंध गीत – गोरबंध एक श्रृंगारिक गीत है। इसमें ऊँट के श्रृंगार का वर्णन किया जाता है। गोरबंध ऊँट का एक श्रृंगारिक आभूषण…

राजस्थान के संप्रदाय

राजस्थान के संप्रदाय निम्बार्क सम्प्रदाय सलेमाबाद (अजमेर) में निम्बार्क सम्प्रदाय के प्रवर्तक परशुराम देव थे। निम्बार्क सम्प्रदाय के अनुयायी राधाजी को भगवान श्रीकृष्ण की पत्नी मानते है। सलेमाबाद में भाद्रपद…

राजस्थान के संत Part-3

राजस्थान के संत संत रामदासजी संत रामदास रामस्नेही संप्रदाय की खेड़ापा (जोधपुर ग्रामीण) शाखा के प्रवर्तक थे। इनका जन्म भीकमकोर गाँव (फलौदी) में हुआ था। संत रामदास मेघवाल जाति के…

राजस्थान के संत Part-2

राजस्थान के संत संत मीराबाई मेड़ता के राठौड़ शासक राव रत्नसिंह की पुत्री मीराबाई का जन्म 1498 ई. में कुड़की (जैतारण, ब्यावर) में हुआ था। मीरा के पिता का नाम…

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