आर्थिक सर्वे 2023-24 – कृषि
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- भारतीय कृषि क्षेत्र लगभग 42.3 प्रतिशत आबादी को आजीविका सहायता प्रदान करता है और देश के सकल घरेलू उत्पाद में वर्तमान मूल्य पर इसकी हिस्सेदारी 18.2 प्रतिशत है। इस क्षेत्र ने पिछले पांच वर्षों में स्थिर कीमतों पर 4.18 प्रतिशत की औसत वार्षिक वृद्धि दर दर्ज की है।
- 2023-24 के अनंतिम अनुमानों के अनुसार, कृषि क्षेत्र की वृद्धि दर 1.4 प्रतिशत रही, जो कि 2022-23 में 4.7 प्रतिशत से कम है, जिसका मुख्य कारण अलनीनो के कारण विलंबित और खराब मानसून के कारण खाद्यान्न उत्पादन में गिरावट है।
- संबद्ध गतिविधियों पशुधन और मत्स्य पालन ने अनाज जैसी पारंपरिक फसलों की तुलना में बेहतर प्रदर्शन किया है।
- 2022-23 में मौजूदा कीमतों पर कृषि जीवीए में फसल क्षेत्र की हिस्सेदारी 2014-15 के 61.75 प्रतिशत की तुलना में 55.28 प्रतिशत है।
- भारत चावल, गेहूं, कपास और गन्ने में दुनिया में दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है और दूध दालों और मसालों का सबसे बड़ा उत्पादक है फिर भी देश में फसल की पैदावार अन्य प्रमुख उत्पादकों की तुलना में बहुत कम है।
- 2022-23 में खाद्यान्न उत्पादन 329.67 मिलियन टन के सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गया और तिलहन उत्पादन 41.4 मिलियन टन तक पहुंच गया। 2023-24 में खाद्यान्न उत्पादन लगभग 328.8 मिलियन टन है जिसका मुख्य कारण खराब और विलंबित मानसून है। अन्य फसलों जैसे श्री अन्न/पोषक अनाज और कुल तिलहन के उत्पादन में मामूली वृद्धि हुई। पोषक अनाज में पिछले वर्ष की तुलना में प्रतिशत की मामूली वृद्धि हुई।
- सरकार धान की खेती के लिए वैकल्पिक फसलों की बेहतर उत्पादन तकनीकों का प्रदर्शन और प्रचार करने तथा दलहनी फसलों की खेती के माध्यम से मिट्टी की उर्वरता को बहाल करने के लिए राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (आरकेवीवाई) के तहत फसल विविधीकरण कार्यक्रम (सीडीपी) को लागू का रही है।
- सरकार वनस्पति तेलों की उपलब्धता बढ़ाने के लिए 2018-19 से केंद्र प्रायोजित योजना, राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन – तिलहन एवं पाम ऑयल (एनएफएसएम – ओएसएंडओपी) को लागू कर रही है।
- किसानों की आय को दोगुना करने के लिए कृषि क्षेत्र की आय में 10.4 प्रतिशत की वार्षिक दर से वृद्धि होनी चाहिए, जिसके लिए कृषि निवेश में 12.5 प्रतिशत की वार्षिक वृद्धि दर की आवश्यकता होगी।
- 2011-12 और 2020-21 के बीच कृषि क्षेत्र को दी जाने वाली सब्सिडी दोगुनी से अधिक हो गई, जिसमें सबसे तेज वृद्धि उर्वरक और बिजली में देखी गई।
- निजी निवेश को आकर्षित करने हेतु सरकार 2014 से एकीकृत कृषि विपणन योजना की कृषि विपणन अवसंरचना उप योजना को लागू कर रही है जिसके तहत भंडारण अवसंरचना में सुधार करने के उद्देश्य से सब्सिडी प्रदान की जाती है।
- कृषि इंफ्रास्ट्रक्चर फंड (एआईएफ) को वित्त वर्ष 2020- 21 से 2025-26 के बीच वितरित किए जाने वाले 1 लाख करोड़ रूपये की वित्तपोषण सुविधा के साथ लॉन्च किया गया। एआईएफ फसल कटाई के बाद के प्रबंधन और सामुदायिक खेती परियोजनाओं के लिए मध्यम अवधि के ऋण वित्तपोषण प्रदान करता है तथा ब्याज अनुदान और ऋण गारंटी सहायता भी प्रदान करता है।
- भारतीय कृषि पर छोटे भूमिधारकों का वर्चस्व बना हुआ है। लगभग 89.4 प्रतिशत कृषि परिवारों के पास 2 हेक्टेयर से कम भूमि है।
- गैर संस्थागत ऋण की हिस्सेदारी 1950 में 90 प्रतिशत से घटाकर 2021-22 में 23.40 प्रतिशत हो गई है।
- 31 जनवरी 2024 तक बैंकों द्वारा 7.5 करोड़ केसीसी जारी किए।
- मत्स्य पालन और पशुपालन गतिविधियों की कार्यशील पूंजी की जरूरतों को पूरा करने के लिए 2018-19 में किसान क्रेडिट कार्ड को बढाया गया।
- 31 मार्च, 2024 तक, मत्स्य पालन और पशुपालन गतिविधियों के लिए क्रमश: 3.49 लाख केसीसी और 34.5 लाख केसीसी जारी किए गए।
- प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना किसान नामांकन के मामले में दुनिया की सबसे बड़ी फसल बीमा योजना है और बीमा प्रीमियम के मामले में तीसरी सबसे बड़ी योजना है। यह योजना किसानों को बुवाई से पहले से लेकर कटाई के बाद तक सभी गैर – रोकथाम योग्य प्राकृतिक जोखिमों के विरूद्ध फसलों के लिए व्यापक जोखिम कवर सुनिश्चित करने के लिए एक सरल और किफायती फसल बीमा उत्पाद प्रदान करती है।
- डिजी-क्लेम पेमेंट मॉड्यूल – सरकार को पात्र दावों की मात्रा, बीमा कंपनी द्वारा भुगतान किए गए दावों और लाभार्थी किसानों को हस्तांतरित वास्तविक दावों की जानकारी होगी।
- प्रौद्योगिकी पर आधारित उपज अनुमान (यस तकनीक) – एक प्रौद्योगिकी आधारित उपज अनुमान तंत्र है जिसे दो साल के कठोर परीक्षण और देश के 100 जिलों में चलने वाले पायलट के बाद विकसित किया गया है। नौ राज्य अर्थात असम, हरियाणा, राजस्थान, मध्यप्रदेश, आंध्रप्रदेश, तमिलनाडू और कर्नाटक और ओडिशा, खरीफ 2023 सीजन से यस तकनीक को लागू कर रहे है।
- मौसम सूचना नेटवर्क और डेटा सिस्टम (डब्ल्यू आई एन डी एस) – तालुक / ब्लॉक और ग्राम पंचायत (जीपी) स्तरों पर स्वचालित मौसम स्टेशनों और वर्षा गेज का एक नेटवर्क स्थापित करने की एक अग्रणी पहल है।
- फसलों के वास्तविक समय के अवलोकन और तस्वीरों का संग्रह (क्रोपिक) – एक पहल है जो फसलों के जीवन चक्र के दौरान आवधिक तस्वीरें एकत्र करने के लिए शुरू की गई है।
- 14 मार्च 2024 तक ई-नाम पोर्टल पर 1.77 करोड़ से अधिक किसान और 2.56 लाख व्यापारी पंजीकृत हो चुके है।
- भारत सरकार ने 2027-28 तक रूपये हजार करोड़ के बजट परिव्यय के साथ 2020 मे 10000 एफपीओ बनाने और बढ़ावा देने के लिए केंद्रीय क्षेत्र योजना (सीएसएस) शुरू की।
- कृषि यंत्रीकरण पर उप मिशन – राज्य सरकार को कृषि मशीनरी के प्रशिक्षण और प्रदर्शन, कस्टम हायरिंग सेटर (सीएचसी) की स्थापना के लिए सहायता प्रदान करता है।
- 2022-23 तक लगभग 68.05 लाख हेक्टेयर क्षेत्र को जैविक खेती के अतर्गत लाया गया। सिक्किम पूरी तरह से जैविक बनने वाला दुनिया का पहला राज्य बन गया।
- भारत में उर्वरक की खपत असंतुलित है और अधिकांश फसलों में इस्तेमाल किए जाने वाले नाइट्रोजन उर्वरकों मे यूरिया का हिस्सा 82 प्रतिशत अधिक है।
- एग्री स्टैक – एग्री स्टैक सरकार द्वारा स्थापित डिजिटल नींव है, जो भारत के कृषि को बेहतर बाने के लिए विभिन्न हितधारकों को एक साथ लाने को आसान बनाती है। – यह सुनिश्चित करेगा कि सब्सिडी वाले उर्वरक केवल उन लोगों को बेचे जाएं जिन्हें किसान के रूप में पहचाना जाता है।
- ई-रूपी एक सहज एकमुश्त भुगतान प्रणाली है, जिसका उपयोग किसान को सीधे आवश्यक सब्सिडी प्रदान करने के लिए किया जा सकता है।
- डिजिटल कृषि मिशन 2021-2025 का उद्देश्य एआई, रिमोट सेसिंग, ड्रोन आदि जैसी उन्नत तकनीकों के माध्यम से कृषि को आधुनिक बनाना है।
फार्मास्यूटिकल्स –
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- इसे ‘दुनिया की फार्मेसी’ कहा जाता है, जो 60 चिकित्सीय श्रेणियों में लगभग 60,000 जेनेरिक ब्रांड प्रदान करती है, जो मात्रा के हिसाब से वैश्विक जेनेरिक दवा निर्यात 20 प्रतिशत है शीर्ष 20 वैश्विक जेनेरिक कंपनियों में से आठ भारत में स्थित है। भारत बल्क ड्रग्स का शुद्ध निर्यातक बन गया है।
- प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि केन्द्र (पीएमबीजेके) जेनेरिक दवाइयां उपलब्ध कराने के लिए खुले हैं। अब तक सभी जिलों को कवर करते हुए 12500 से अधिक पीएमबीजेके खोले जा चुके हैं।
- फार्मा उद्योग के 2023 तक 130 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है।
आर्थिक सर्वे 2023-24 – कृषि, उद्योग