इतिहास
प्राचीन भारतः
1. प्राचीन भारतीय इतिहास के स्रोत, 2. प्रागैतिहासिक काल, 3. हड़प्पा सभ्यता, 4. वैदिक संस्कृति. 5. छठी शताब्दी ई.पू. के धार्मिक आंदोलन, 6. महाजनपद काल, 7. मगध साम्राज्य, 8. विदेशी आक्रमण, 9. मौर्य साम्राज्य, 10. मौर्योत्तर काल, 11. विदेशी शासन, 12. गुप्त साम्राज्य, 13. संगम युग. 14. वाकाटक, बादामी के चालुक्य, पल्लव वंश इत्यादि
मध्यकालीन भारतः
1. मध्यकालीन भारत के राजवंश (पाल, सेन, गुर्जर. प्रतिहार, राष्ट्रकूट, चोल इत्यादि), 2. अरब एवं तुर्क आक्रमण, महमूद गजनवी, मुहम्मद गोरी, 3. गुलाम वंश, खिलजी वंश, तुगलक वंश, सैय्यद एवं लोदी वंश, 4. दिल्ली सल्तनत का प्रशासन, 5. सल्तनत काल में तकनीक विकास, 6. क्षेत्रीय राज्य (विजयनगर एवं बहमनी साम्राज्य इत्यादि). 7. सूफी तथा भक्ति आंदोलन, 8. मुगलकाल, 9. मुगल शासन व्यवस्था, 10. मराठा (शिवाजी). 11. सिख संप्रदाय के गुरु, 12. महत्त्वपूर्ण शब्दावली 13. मध्यकालीन पुस्तकें
आधुनिक भारतः
1. उत्तरवर्ती मुगल साम्राज्य, 2. मराठा (पेशवा) 3. कर्नाटक युद्ध, 4. अंग्रेजों की आर्थिक, सामाजिक व सांस्कृतिक नीतियाँ, 5. समाचार पत्र एवं पत्रिकाएँ, 6. सामाजिक एवं धार्मिक आंदोलन, 7. 1857 का विद्रोह, 8. नागरिक एवं आदिवासी विद्रोह. 9. किसान सभा, मजदूर एवं वामपंथी आंदोलन, 10. भारतीय राष्ट्रीय कॉन्ग्रेस, 11. मुस्लिम लीग, 12. क्रांतिकारी गतिविधियाँ, 13. होमरूल लीग, 14. गांधीवादी चरण, खिलाफत एवं असहयोग आंदोलन, 15. साइमन कमीशन, नेहरू रिपोर्ट, 16. सविनय अवज्ञा आंदोलन, गांधी इरविन समझौता, 17. गोलमेज सम्मेलन, 18. प्रांतीय चुनाव, 19. क्रिप्स मिशन और भारत छोड़ो आंदोलन, 20. वेवेल योजना तथा शिमला सम्मेलन, 21. कैबिनेट मिशन, संविधान सभा एवं अंतरिम सरकार, 22. माउंट बेटन योजना, भारत में संवैधानिक विकास क्रम, 23. गवर्नर जनरल एवं उनके कार्य. 24. अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य
कला एवं संस्कृतिः
1. बौद्ध कला. 2. मंदिर निर्माण की शैली, 3. इंडो-इस्लामिक वास्तुकला, 4. मुगलकालीन स्थापत्य, 5. विश्व विरासत में शामिल भारतीय स्थल, 6. मूर्तिकला, 7. चित्रकला, 8. नृत्यकला एवं संगीतकला, 9. भारतीय परंपरागत युद्धकला एवं खेल. 10. प्रमुख त्योहार, 11. शास्त्रीय भाषाएँ. 12. प्रमुख दर्शन एव दार्शनिक, 13. कला एवं संस्कृति से संबंधित संगठन, 14. अभ्यास प्रश्न
भारतीय इतिहास (Indian History)
प्राचीन भारत (Ancient India)
प्राचीन भारतीय इतिहास के स्रोत
प्राचीन भारतीय इतिहास के स्रोत अनेक और विविध प्रकार के हैं। हम उन्हें दो श्रेणियों में विभाजित कर सकते हैं- एक साहित्यिक और दूसरा पुरातात्त्विक।
साहित्यिक स्रोत
ब्राह्मण साहित्य
वेद
- वेद भारत के प्राचीनतम ग्रंथ हैं। जिनका संकलनकर्ता महर्षि कृष्ण द्वैपायन वेदव्यास को माना जाता है।
- वेदों की संख्या चार है ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद तथा अथर्ववेद।
ऋग्वेद
- यह प्राचीनतम वेद माना जाता है। इसमें कुल 10 मंडल तथा 1028 सूक्त हैं।
- इस वेद के पढ़ने वाले ऋषि को ‘होतृ’ कहते हैं। ऋग्वेद का पहला एवं 10वाँ मंडल सबसे अंत में जोड़ा गया है।
- ऋग्वेद के तीसरे मंडल में सूर्य देवता ‘सवितृ’ को समर्पित प्रसिद्ध गायत्री मंत्र है।
- 9वें मंडल में देवता सोम का उल्लेख है तथा 10वें मंडल में चातुर्वर्ण्य व्यवस्था का उल्लेख है।
नोटः यूनेस्को द्वारा ‘ऋग्वेद’ की 30 पांडुलिपियों को ‘यूनेस्को मेमोरी ऑफ वर्ल्ड रजिस्टर’ में शामिल किया गया है। |
यजुर्वेद
- इसमें यज्ञों के नियमों या विधानों का संकलन मिलने के कारण इसे कर्मकांडीय वेद भी कहा जाता है।
- यजुर्वेद के दो भाग हैं- शुक्ल यजुर्वेद और कृष्ण यजुर्वेद। शुक्ल यजुर्वेद केवल पद्य में है जबकि कृष्ण यजुर्वेद, गद्य एवं पद्म दोनों में है।
- शुक्ल यजुर्वेद को ‘वाजसनेयी संहिता’ कहा जाता है।
- यजुर्वेद के मंत्रों का उच्चारण करने वाला पुरोहित ‘अध्वर्यु’ कहलाता है।
सामवेद
- ‘साम’ का अर्थ ‘गान’ होता है। सामवेद में मुख्यतः यज्ञों के अवसर पर गाए जाने वाले मंत्रों का संग्रह है। सामवेद से ही भारतीय संगीत की उत्पत्ति मानी जाती है। इस ग्रंथ में कुल 1875 ऋचाएँ हैं जिनमें मूल रूप से 99 ऋचाएँ ही सामवेद की हैं, शेष ऋग्वेद से ली गई ऋचाएँ हैं।
- सामवेद के मंत्रों को गाने वाला ‘उद्गाता’ कहलाता है।
अथर्ववेद
- तीन वेदों के बाद अंत में इसकी रचना अथर्व तथा अंगिरस ऋषि द्वारा की गई। इसीलिये इसे ‘अथर्वांगिरस वेद’ भी कहा जाता है।
- इसमें ब्रह्म-ज्ञान, धर्म, औषधि प्रयोग, रोग निवारण, जादू-टोना, तंत्र-मंत्र आदि अनेक विषयों का वर्णन है।
- अथर्ववेद के मंत्रों का उच्चारण करने वाला पुरोहित ‘ब्रह्मा’ कहलाता है।
नोटः इन चार वेदों को ‘संहिता’ कहा जाता है। |
वेद | संबंधित ब्राह्मण ग्रंथ | संबंधित उपनिषद |
ऋग्वेद | ऐतरेय, कौषीतकी | ऐतरेय, कौषीतकी |
यजुर्वेद | शतपथ, तैत्तिरीय | कठोपनिषद, इशोपनिषद, वृहदारण्यक, श्वेताश्वतरोपनिषद, मैत्रायणी आदि। |
सामवेद | पंचविंश, षडविंश | छांदोग्य, जैमिनीय |
अथर्ववेद | गोपथ | मुंडकोपनिषद, मांडुक्योपनिषद, प्रश्नोपनिषद |
वेदांग
- वेदों को भली-भाँति समझने के लिये छः वेदांगों की रचना की गई- शिक्षा (उच्चारण विधि), ज्योतिष (भाग्यफल), कल्प (कर्मकांड), व्याकरण (शब्द व्युत्पत्ति), निरुक्त (भाषा विज्ञान) तथा छंद (चतुष्पदी श्लोक)।
महाकाव्य
- वैदिक साहित्य के बाद भारतीय साहित्य में महाकाव्यों का समय आता है। इसमें रामायण और महाभारत प्रमुखतः शामिल हैं।
- रामायण की रचना महर्षि वाल्मीकि तथा महाभारत की रचना महर्षि वेदव्यास ने की थी।
भारतीय राजव्यवस्था
1. भारतीय संविधान, 2. संघ एवं राज्य क्षेत्र, 3. नागरिकता, 4. मूल अधिकार. 5. नीति निदेशक तत्त्व एवं मूल कर्तव्य, 6. राष्ट्रपति, 7. मन्त्रिपरिषद्, 8. राज्यसभा और लोकसभा, 9. राज्यपाल एवं राज्य की मंत्रिपरिषद्, 10. केंद्र-राज्य संबंध, 11. न्यायपालिका, 12. पंचायती राज, 13. महत्त्वपूर्ण संविधान संशोधन, 14. प्रमुख संवैधानिक संस्थाएँ, 15. अन्य संस्थाएँ एवं आयोग, 16. भारतीय संविधान के भाग, अनुच्छेद एवं अनुसूचियाँ (संक्षिप्त में), 17. अभ्यास प्रश्न
भारतीय राजव्यवस्था
संविधान की प्रमुख विशेषताएँ एवं उद्देशिका
हर संविधान का एक दर्शन होता है। भारत के संविधान का भी एक दर्शन है, जो जवाहरलाल नेहरू द्वारा प्रस्तुत ‘उद्देश्य प्रस्ताव’ में निहित है। यही उद्देश्य प्रस्ताव संविधान की ‘प्रस्तावना’ (Preamble) का आधार बना और इसी ने संपूर्ण संविधान के ‘दर्शन’ को मूर्त रूप प्रदान किया। उद्देशिका (प्रस्तावना) को ‘संविधान की आत्मा’ भी कहा जाता है।
संविधान सभा के गठन का विचार सर्वप्रथम वामपंथी नेता एम. एन. रॉय द्वारा 1934 में रखा गया था। |
संविधान की उद्देशिका
- उद्देशिका को संविधान सभा ने 22 जनवरी, 1947 को स्वीकार किया, जिसे जवाहरलाल नेहरू ने 13 दिसंबर, 1946 को उद्देश्य प्रस्ताव के रूप में संविधान सभा के समक्ष पेश किया था।
प्रस्तावना (उद्देशिका) |
हम, भारत के लोग, भारत को एक संपूर्ण प्रभुत्व-संपन्न, समाजवादी, पंथ-निरपेक्ष, लोकतंत्रात्मक गणराज्य बनाने के लिये, तथा उसके समस्त नागरिकों कोः
सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय, विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म और उपासना की स्वतंत्रता, प्रतिष्ठा और अवसर की समता प्राप्त कराने के लिये, तथा उन सबमें व्यक्ति की गरिमा और राष्ट्र की एकता और अखंडता सुनिश्चित करने वाली बंधुता बढ़ाने के लिये दृढ़ संकल्प होकर अपनी इस संविधान सभा में आज तारीख 26 नवंबर, 1949 ई० (मिति-मार्गशीर्ष शुक्ल सप्तमी, संवत् दो हजार छह विक्रमी) को एतद् द्वारा इस संविधान को अंगीकृत, अधिनियमित और आत्मार्पित करते हैं। |
- प्रस्तावना प्रवर्तनीय नहीं है अर्थात् इसकी व्यवस्थाओं को लागू करवाने के लिये न्यायालय का सहारा नहीं लिया जा सकता।
- भारतीय संविधान, संविधान सभा द्वारा 26 नवंबर, 1949 को स्वीकृत, अंगीकृत व अधिनियमित हुआ था, जबकि 26 जनवरी, 1950 से पूर्ण भारतीय संविधान लागू हुआ था।
- • संविधान को 26 जनवरी के दिन लागू करने का निर्णय, भारतीय राष्ट्रीय कॉन्ग्रेस के द्वारा लाहौर अधिवेशन (दिसंबर 1929) में की गई घोषणा तथा 26 जनवरी, 1930 के दिन को पूर्ण स्वराज्य दिवस के रूप में मनाए जाने के कारण लिया गया।
- संविधान सभा का चुनाव अप्रत्यक्ष निर्वाचन पद्धति द्वारा हुआ था. जिसमें सामान्यतः प्रत्येक 10 लाख की जनसंख्या पर एक प्रतिनिधि चुना गया।