राजस्थान की लोक देवियाँ

आई माता

  • सीरवी जाति की कुलदेवी आई माता का समाधि स्थल बिलाड़ा (जोधपुर ग्रामीण) में है, जहाँ इनका मुख्य मंदिर बना है।
  • इनके मुख्य मंदिर को बडेर और अन्य मंदिर को दरगाह कहते हैं।
  • मुख्य मंदिर के दीपक की ज्योति से केसर टपकती है।
  • आईमाता रामदेवजी की शिष्या थी। प्रत्येक महीने की शुक्ल द्वितीया को इनकी विशेष पूजा होती है।

आवड़ माता

  • जैसलमेर जिले में एक पहाड़ी पर आवड़ माता का मंदिर है।
  • ये सात देवियों का मंदिर है, जिन्हें चारण देवियाँ कहा जाता है।
  • आवड़ माता को तेमड़ताई भी कहा जाता है।

नारायणी माता

  • नारायणी माता नाई जाति की कुलदेवी है। इनका मंदिर अलवर जिले के बरबा डूंगरी की तलहटी में स्थित है।
  • ग्यारहवीं शताब्दी का प्रतिहार शैली में निर्मित मंदिर स्थापत्य एवं पुरातात्विक दृष्टि से भी महत्त्व का है।
  • नाई जाति के लोग यहाँ जात, जडूले, सवामणी आदि के लिए आते हैं।
  • मीणा जाति के लोग भी इनकी पूजा करते है।

पथवारी माता

  • तीर्थयात्रा पर जाते समय और वापस लौटते समय सबसे पहले पथवारी माता की पूजा की जाती है।
  • पथवारी गाँव से बाहर जाने वाले मार्ग पर स्थापित की जाती है।
  • इनके चित्रों में काला-गौरा, भैरूजी, कावड़िया वीर एवं गंगाजी का कलश बनाया जाता है।

जमुवाय माता

  • जमुवाय माता ढूंढाड़ के कच्छवाहा वंश की कुलदेवी हैं।
  • जमवारामगढ़ (जयपुर ग्रामीण) में इनका मंदिर स्थित है।

छींक माता

  • छींक माता की पूजा माघ शुक्ला सप्तमी को की जाती है।
  • जयपुर के गोपालजी का रास्ता में छींक माता का मंदिर बना हुआ है।

सुगाली माता

  • आउवा के किले के मंदिर में 54 भुजाओं तथा 10 सिर वाली सुगाली माता प्रतिष्ठापित थी।
  • इसे 1857 के क्रांतिकारियों की प्रेरक देवी माना जाता है।
  • आउवा की क्रांति के पश्चात् अंग्रेज इस मूर्ति को अजमेर ले गए।
  • वर्तमान में यह पाली स्थित बांगड़ संग्रहालय में स्थित है।

बड़ली माता

  • आकोला (चित्तौड़गढ़) में बेड़च नदी के तट पर बड़ली माता का मंदिर है।
  • बड़ली माता की तांती बाँधने से बीमार व्यक्ति ठीक हो जाता है।

भदाणा माता

  • कोटा के भदाणा नामक स्थान पर मूठ (तांत्रिक क्रिया) से बचाने वाली भदाणा माता का मंदिर है।

बाण माता

  • बाणमाता मेवाड़ के सिसोदिया राजवंश की कुलदेवी हैं।
  • चित्तौड़गढ़ दुर्ग में बाणमाता का प्रसिद्ध मंदिर बना हुआ है।

तनोट माता

  • जैसलमेर के तनोट में तनोटिया माता का मंदिर युद्ध देवी के मंदिर के नाम से विख्यात हैं।
  • तनोट माता को हिंगलाज माता का रूप माना जाता है।
  • हिंगलाज माता का शक्तिपीठ पाकिस्तान के बलुचिस्तान प्रांत में स्थित हैं।
  • जैसलमेर के भाटी राजवंश द्वारा तनोट में माता का मंदिर बनवाया गया।
  • 1965 के भारत-पाक युद्ध के दौरान अप्रत्यक्ष रूप से माता द्वारा भारतीय सैनिकों की मदद करने की कहानी प्रसिद्ध है।
  • मंदिर की आरती व देखरेख का कार्य सीमा सुरक्षा बल (BSF) के जवान करते है।
  • तनोट माता को थार की वैष्णोदेवी और रुमाल की देवी भी कहा जाता है।

ब्राह्मणी माता

  • ब्राह्मणी माता का मुख्य मंदिर सोरसन (बाराँ) में स्थित है।
  • यह एकमात्र लोकदेवी है जिनकी पीठ की पूजा की जाती है।
  • यहाँ माघ शुक्ल सप्तमी पर गधों का मेला लगता है।
चामुंडा माता जोधपुर के मेहरानगढ़ दुर्ग में स्थित है।
आवरी माता इनका मुख्य निकुंभ (चित्तौड़गढ़) में स्थित है। लकवाग्रस्त व्यक्तियों का इलाज किया है।
महामाया इनका मुख्य मंदिर मावली (उदयपुर) में स्थित है।
आम्बिका माता इनका मुख्य मंदिर जगत (उदयपुर) में स्थित है। इस मंदिर को मेवाड़ का खजुराहो कहा जाता है।
नकटी माता नकटी माता का मुख्य मंदिर जयपुर के जयभवानीपुरा में स्थित है।
त्रिपुर सुन्दरी इनका मुख्य मंदिर तलवाड़ा (बाँसवाड़ा) में बना हुआ है। इन्हें तुरताई माता भी कहा जाता है।
मरकण्डी माता मरकण्डी माता का मुख्य मंदिर निमाज (पाली) में स्थित है।
लटियाल माता कल्ला ब्राह्मणों की कुलदेवी लटियाल माता का मंदिर फलौदी में स्थित है।
हर्षद माता आभानेरी (दौसा) में इनका मुख्य मंदिर बना हुआ है।
घेवर माता राजसमंद में घेवर माता का मुख्य मंदिर स्थित है।
क्षेमकरी माता भीनमाल (जालौर) में इनका मुख्य मंदिर स्थित है।
कैवाय माता दहिया राजपूतों की कुल देवी कैवाय माता का मंदिर किणसरिया (डीडवाना-कुचामन) में स्थित है।
राजेश्वरी माता भरतपुर के राजवंश की कुलदेवी
माता राणी भटियाणी जसोल (बालोतरा) में इनका मुख्य मंदिर स्थित है। भाद्रपद शुक्ल त्रयोदशी को यहाँ मेला लगता है।
कठेसरी माता आदिवासियों की कुलदेवी
आमजा माता रीछड़ा (उदयपुर) में इनका मुख्य मंदिर स्थित है।
जिलाड़ी माता कोटपूतली-बहरोड़ जिले के बहरोड़ में इनका मुख्य मंदिर स्थित है।
भंवाल माता भंवाल माता का मुख्य मंदिर मेड़ता (नागौर) में स्थित है। ढाई प्याला शराब चढ़ाई जाती है।
हिंगलाज माता इनका मुख्य मंदिर पाकिस्तान के लासवेला में स्थित है। पाली के नारलाई में भी इनका मंदिर है।
ज्वाला माता खंगारोतो की ईष्ट देवी ज्वाला माता का मुख्य मंदिर जोबनेर (जयपुर ग्रामीण) में स्थित है।

 

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