2014-15 से 2022-23 तक पशुधन क्षेत्र स्थिर कीमतों पर 7.38 प्रतिशत की प्रभावशाली चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (सीएजीआर) से बढ़ा है।
कृषि और संबद्ध क्षेत्रों में कुल जीवीए (स्थिर मूल्यों पर) में पशुधन क्षेत्र का योगदान 2014-15 में 24.32 प्रतिशत से बढ़कर 2022-23 में 30.38 प्रतिशत हो गया।
2022-23 में, पशुधन क्षेत्र ने कुल जीवीए में 4.66 प्रतिशत का योगदान दिया। भारतीय अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान देने वाला मत्स्य पालन क्षेत्र कृषि जीवीए में लगभग 6.72 प्रतिशत योगदान देता है और 2014-15 और 2022-23 (स्थिर मूल्यों पर) के बीच 8.9 प्रतिशत की चक्रवृद्धि वार्षिक दर से बढ़ा है। यह ‘सनराइज सेक्टर’ लगभग 30 मिलियन लोगों विशेष रूप से कमजोर समुदायों को सहायता प्रदान करता है।
2022-23 में भारत ने 17.54 मिलियन टन का रिकॉर्ड मछली उत्पादन हासिल किया, जो वैश्विक स्तर पर तीसरे स्थान पर है और वैश्विक उत्पादन का 8 प्रतिशत है।
2022-23 में कृषि अनुसंधान पर कृषि जीवीए के 0.43 प्रतिशत के बराबर व्यय किया गया।
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) देश में कृषि अनुसंधान में शीर्ष संगठन है।
खाद्य प्रसंस्करण –
भारत दूध का सबसे बड़ा उत्पादन है और फलों सब्जियों और चीनी का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है।
भारत में खाद्य प्रसंस्करण उद्योग संगठित विनिर्माण में सबसे बड़े नियोक्ताओं में से एक है, जिसका संगठित क्षेत्र में कुल रोजगार मे 12.02 प्रतिशत हिस्सा है। 2022-23 के दौरान प्रसंस्कृत खाद्य निर्यात सहित कृषि खाद्य निर्यात का मूल्य 46.44 बिलियन अमेरिकी डॉलर था, जो भारत के कुल निर्यात का लगभग 11.7 प्रतिशत है।
• 2022-23 तक समाप्त होने वाले पिछले आठ वषों के दौरान, खाद्य प्रसंस्करण उद्योग क्षेत्र 2011-12 की कीमतों पर लभभग 5.35 प्रतिशत की औसत वार्षिक वृद्धि दर (एएजीआर) से बढ़ रहा है।
खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में जीवीए 2013-14 में 1.30 लाख करोड़ रूपये से बढ़कर 2022-23 में रूपये 1.92 लाख करोड़ रूपये हो गया है। 2011-12 की कीमतों पर 2022-23 में विनिर्माण में जीवीए का 7.66 प्रतिशत हिस्सा इस क्षेत्र का था।
उद्योग
वित्त वर्ष 2024 में औद्योगिक विकास में तेजी आई, जिसमें विनिर्माण और निर्माण क्षेत्र सबसे आगे रहे।
वित्त वर्ष 2023-24 में वृद्धि दर -9.5%
सकल मूल्य वर्धन में विनिर्माण का योगदान 14.3%
विनिर्माण क्षेत्र ने पिछले दशक में 5.2 प्रतिशत की औसत वार्षिक वृद्धि दर हासिल की।
सीमेंट –
सीमेंट उद्योग भारत में निर्माण क्षेत्र में लगभग 11 प्रतिशत इनपुट लागत का योगदान देना है। भारत चीन के बाद दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा सीमेंट उत्पादक है।
वित्त वर्ष 24 में सीमेंट उत्पादन लगभग 427 मिलियन टन है। सीमेंट उद्योग का लगभग 85 प्रतिशत हिस्सा राजस्थान, आंध्रप्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, गुजरात, तमिलनाडु महाराष्ट्र उत्तरप्रदेश छत्तीसगढ़ और पश्चिम बंगाल राज्यों में केन्द्रित है।
उद्योग के पास घरेलु सीमेंट की मांग को पूरा करने के लिए पर्याप्त क्षमता है। आयातित सीमेंट की मात्रा कुल घरेलु सीमेंट उत्पादन का लगभग 0.2 प्रतिशत है।
इस्पात क्षेत्र –
निर्माण क्षेत्र में सभी इनपुट में लोहा और इस्पात का योगदान लगभग 47 प्रतिशत है। वित्त वर्ष 2024 के दौरान इस्पात क्षेत्र ने उत्पादन और खपत का उच्चतम स्तर हासिल किया।
आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य को प्राप्त करने और इस्पात क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए, सरकार ने अक्टूबर 2023 में बस्तर जिले मे नगरनार इस्पात संयंत्र की स्थापना की।
कोयले से चलने वाली बिजली उत्पादन कुल बिजली उत्पादन का लगभग 70 प्रतिशत है पिछले पाँच वर्षों में कोयले के उत्पादन में तेजी आई है जिससे आयात पर निर्भरता कम हुई है।
कोयला / लिग्नाइट गैसीफिकेशन परियोजनाओं को व्यवहार्यता अंतर वित्तपोषण प्रदान करने के लिए 2023-24 के दौरान 8500 करोड़ रूपये के परिव्यय वाली एक योजना शुरू की गई है।
कोयला निकासी के लिए तकनीकी रूप से सक्षम, एकीकृत और लागत प्रभावी रसद विकसित करने के लिए फरवरी 2024 में एकीकृत कोयला रसद नीति और योजना शुरू की गई।
मई 2023 में संशोधित कोयला ब्लॉक आवंटन नियम, 2017 को अधिसूचित किया गया।
कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) 2025-26 तक बिजली खनन कार्यों के लिए 3000 मेगावाट अक्षय ऊर्जा क्षमता स्थापित करेगी।
कपड़ा उद्योग –
परिधान क्षेत्र सहित वस्त्रों ने वित्त वर्ष 2022-23 में रूपये 3.77 लाख करोड़ का सकल मूल्य वर्धित किया, जो प्रचलित कीमतों पर विनिर्माण जीवीए का लगभग 10.6 प्रतिशत था।
भारत दुनिया दुसरा सबसे बड़ा कपड़ा निर्माता है और शीर्ष पांच निर्यातक देशों में से एक है। वित्त वर्ष 24 में कुल निर्यात में सबसे बडी हिस्सेदारी (41 प्रतिशत) रेडीमेड कपड़ों की है जिसका निर्यात रूपये 1.2 लाख करोड़ था, इसके बाद सूती वस्त्र (34 प्रतिशत) और मानव निर्मित वस्त्र (14 प्रतिशत) का स्थान है।
भारत की कपड़ा और परिधान उत्पादन क्षमता का अधिकांश हिस्सा एमएसएमई के कारण है, जो इस क्षेत्र में 80 प्रतिशत से अधिक का योगदान देता है।
भारत के परिधान क्षेत्र जिसमें कच्चे माल मुख्य रूप से महाराष्ट्र , गुजरात और तमिलनाडु से प्राप्त होते है, जबकि कताई क्षमताएँ दक्षिणी राज्यों में केंद्रित है।
तमिलनाडु, तेलंगाना, गुजरात, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र में वित्त वर्ष 28 तक रूपये 4,445 करोड़ रूपये के बजट के साथ सात पीएम मित्र पार्क स्थापित किए जाएंगे। पार्को में 1000 एकड़ का औद्योगिक बुनियादी ढांचा और ‘प्लग एंड प्ले’ सुविधाएं होंगी।
वित्त वर्ष 2021 के लिए 1,480 करोड़ के परिव्यय के साथ शुरू किया गया राष्ट्रीय तकनीक वस्त्र मिशन विभिन्न क्षेत्रों में तकनीकी वस्त्रों के उपयोग को बढाने पर केंद्रित है।
वित्त वर्ष 22 से वित्त वर्ष 26 के लिए रूपये 998 करोड़ के परिव्यय के साथ राष्ट्रीय हथकरघा विकास कार्यक्रम (एनएचडीपी) को मंजूरी दी गई है।
वित्त वर्ष 2023-24 में 96 छोटे हथकरघा क्लस्टर स्थापित करने की पहल की गई। नौ मेगा हथकरघा क्लस्टर भी स्थापित किए गए हैं।
इलेक्ट्रॉनिक्स –
भारत के इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण क्षेत्र ने 2014 से उल्लेखनीय वृद्धि का अनुभव किया है, जो वित्त वर्ष 22 में वैश्विक बाजार हिस्सेदारी का अनुमानित 3.7 प्रतिशत है। वहीं वित्त वर्ष 22 में इस उद्योग ने भारत के कुल सकल घरेलू उत्पाद में 4 प्रतिशत का योगदान दिया। इलेक्ट्रॉनिक वस्तुओं का वित्त वर्ष 23 में निर्यात बढ़कर 1.9 लाख करोड़ हो गया। भारत तेजी से इस क्षेत्र में निवेश के लिए एक आकर्षत गंतव्य बन गया है।
मोबाइल फोन के उत्पादन में प्रत्यक्ष कार्यबल वित्त वर्ष 2017 से वित्त वर्ष 2022 के बीच तीन गुना से अधिक हो गया है।
आईटी हार्डवेयर के लिए पीएलआई 2.0 – (मई 2023 में अधिसूचित) इस योजना का उद्देश्य बिक्री और निवेश सीमा से जुड़े घटकों और उप-असेंबली के स्थानीयकरण को प्रोत्साहित करके विनिर्माण पारिस्थितिकी तंत्र को व्यापक और गहरा बनाना है।
इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण क्लस्टर (ईएमसी / ईएमसी 2.0) योजना 2012 में शुरू की गई ईएमसी योजना भारत मे इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्याण को आकर्षित करने के लिए ईएमसी परियोजनाओं और सामान्य सुविधा केंद्रो का समर्थन करती है। -अप्रैल 2020 में अधिसूचित ईएमसी 2.0 योजना उपरोक्त परियोजनाओं के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करती है।